पियरी जिन्दगी
कावि काम कवि जयदा
हमदम बाजे
अन्दर उर बहार से सुन
मन हमदम हमारा मन
विजयपथ होना चाहीहैं विजय की बातें
हमदर्द की लिए
अनजाने रहो मैं
दुन्ठा रही रही के साते
कोही नहीं सुच के पीछे
मन हमदम मन
पियरी जिन्दगी
कावि काम कवि जयदा
हमदम बाजे
अन्दर उर बहार से सुन
मन हमदम हमारा मन
खुआ हुआ आलम
खुआ हुआ दिल
न जाने क्यू धुनता रही सुच की और
जहा पे हमारा घर
हम और तुम
मन हमदम हमारा मन
पियरी जिन्दगी
कावि काम कवि जयदा
हमदम बाजे
अन्दर उर बहार से सुन
मन हमदम हमारा मन!
कावि काम कवि जयदा
हमदम बाजे
अन्दर उर बहार से सुन
मन हमदम हमारा मन
विजयपथ होना चाहीहैं विजय की बातें
हमदर्द की लिए
अनजाने रहो मैं
दुन्ठा रही रही के साते
कोही नहीं सुच के पीछे
मन हमदम मन
पियरी जिन्दगी
कावि काम कवि जयदा
हमदम बाजे
अन्दर उर बहार से सुन
मन हमदम हमारा मन
खुआ हुआ आलम
खुआ हुआ दिल
न जाने क्यू धुनता रही सुच की और
जहा पे हमारा घर
हम और तुम
मन हमदम हमारा मन
पियरी जिन्दगी
कावि काम कवि जयदा
हमदम बाजे
अन्दर उर बहार से सुन
मन हमदम हमारा मन!
No comments:
Post a Comment