Thursday, 4 December 2014

Song/poem of the day!

तुम किस लिए 
जिंदगी मैं 
बिता हुआ कल 
जिंदगी बताओ 
ना  जाने तुम ना जानी हम 
रुट ना जानी 
ना जानी कावी  सावि   झूठा पल 
तुम किस लिए 
मेरी जिंदगी मैं 
बिता हुआ कल 
ना जानी हम ना जानी तुम 

ऐसे पल मई अज्जाओ 
झूठा पल रुट ने की बाद 
सुच साइड कावि    झुकती नहीं 
कुछ इस तर इस लिए 

चाँद हमारा पल चुन लिए 
झील के किनारे 
जिस पैर चाँद कावि डूबेगी नहीं 
१०० दर्द एक दर्द मरे 
मेरे जीअ सातो जनम लगे 
तुम हो मेरी किस लिए। … 
 




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