তোর চোখে দেখেছি আমি সেই মন
মনের মতো মন মন রে মনের মতো মন
না বলেও সরল মনে কত না ছবি না আঁকে
আমার অন্তর্যামী মন , মন রে মনের মতো মন।
অন্তর্যামী সে ধন মন রে মন রে মনের মতো মন।
তোর চোখে দেখেছি আমি সেই মন
মনের মতো মন মন রে মনের মতো মন
দেবতা আলয়ে নীল প্রতিমা
দেখেছি তোর চোখ ভরা সেই নীলিমা
তোর চোখে দেখেছি আমি সেই আরতি
না বলা কত না রং কত না রঙ্গিনবাতি
চঞ্চলা ডানা মেলে তাই আজ অন্য গানে
সেসব বেলার আমাতে তোর মাঝে
তোর চোখে দেখেছি আমি সেই মন
মনের মতো মন মন রে মনের মতো মন
उज्जैन। आज (13 जुलाई, रविवार) से श्रावण मास का प्रारंभ हो रहा है। रिमझिम फुहारों के महीने सावन को हिंदू पंचांग में श्रावण मास कहा जाता है। सावन नाम भी इसी श्रावण शब्द से ही बना है, लेकिन इस महीने का नाम श्रावण क्यों रखा गया, यह कम लोग ही जानते हैं। दरअसल यह पूरी तरह ज्योतिषीय गणना का मामला है। कालगणना के अनुसार ही अधिकतर महीनों और सप्ताह के सातों दिनों के नाम तय किए गए हैं।
हिंदू पंचांग का आरंभ चैत्र मास से होता है। चैत्र मास से पाँचवा माह श्रावण मास होता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार इस मास की पूर्णिमा के दिन आकाश में श्रवण नक्षत्र का योग बनता है। इसलिए श्रवण नक्षत्र के नाम से इस माह का नाम श्रावण हुआ। इस माह से चातुर्मास की शुरुआत होती है। यह माह चातुर्मास के चार महीनों में बहुत शुभ माह माना जाता है।
चातुर्मास धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व रखता है। चातुर्मास के चार माह में श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक में संत-महात्मा से लेकर आम जन तक धर्म और अध्यात्म के रंग में रंग जाते हैं। इस दौरान हिन्दू धर्म के अनेक उत्सव, पर्व और त्यौहार मनाए जाते हैं। इनकी शुरुआत श्रावण मास से होती है।
অশ্বিন ও কার্তিক চার মাসের, ধর্ম এবং আধ্যাত্মিকতা মধ্যে রঙ্গিন হয়. হিন্দুধর্ম, ভোজ ও উৎসব অনেক উৎসব. তারা শ্রাবন শুরু হয়.
মনের মতো মন মন রে মনের মতো মন
না বলেও সরল মনে কত না ছবি না আঁকে
আমার অন্তর্যামী মন , মন রে মনের মতো মন।
অন্তর্যামী সে ধন মন রে মন রে মনের মতো মন।
তোর চোখে দেখেছি আমি সেই মন
মনের মতো মন মন রে মনের মতো মন
দেবতা আলয়ে নীল প্রতিমা
দেখেছি তোর চোখ ভরা সেই নীলিমা
তোর চোখে দেখেছি আমি সেই আরতি
না বলা কত না রং কত না রঙ্গিনবাতি
চঞ্চলা ডানা মেলে তাই আজ অন্য গানে
সেসব বেলার আমাতে তোর মাঝে
তোর চোখে দেখেছি আমি সেই মন
মনের মতো মন মন রে মনের মতো মন
उज्जैन। आज (13 जुलाई, रविवार) से श्रावण मास का प्रारंभ हो रहा है। रिमझिम फुहारों के महीने सावन को हिंदू पंचांग में श्रावण मास कहा जाता है। सावन नाम भी इसी श्रावण शब्द से ही बना है, लेकिन इस महीने का नाम श्रावण क्यों रखा गया, यह कम लोग ही जानते हैं। दरअसल यह पूरी तरह ज्योतिषीय गणना का मामला है। कालगणना के अनुसार ही अधिकतर महीनों और सप्ताह के सातों दिनों के नाम तय किए गए हैं।
हिंदू पंचांग का आरंभ चैत्र मास से होता है। चैत्र मास से पाँचवा माह श्रावण मास होता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार इस मास की पूर्णिमा के दिन आकाश में श्रवण नक्षत्र का योग बनता है। इसलिए श्रवण नक्षत्र के नाम से इस माह का नाम श्रावण हुआ। इस माह से चातुर्मास की शुरुआत होती है। यह माह चातुर्मास के चार महीनों में बहुत शुभ माह माना जाता है।
चातुर्मास धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व रखता है। चातुर्मास के चार माह में श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक में संत-महात्मा से लेकर आम जन तक धर्म और अध्यात्म के रंग में रंग जाते हैं। इस दौरान हिन्दू धर्म के अनेक उत्सव, पर्व और त्यौहार मनाए जाते हैं। इनकी शुरुआत श्रावण मास से होती है।
অশ্বিন ও কার্তিক চার মাসের, ধর্ম এবং আধ্যাত্মিকতা মধ্যে রঙ্গিন হয়. হিন্দুধর্ম, ভোজ ও উৎসব অনেক উৎসব. তারা শ্রাবন শুরু হয়.
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